Rajasthan’s folk arts राजस्थान की प्रमुख लोक कलाएं
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(1) फड़ चित्रांकन (Scroll painting)
In Rajasthan Khadi cloth or on Reggie scroll through the images to render the life of the folk deity called off his portraiture. Orfd portraiture protagonists and villains in red is displayed in green. Fudd in Rajasthan Bhopa and Bhopi are called to read out.
राजस्थान मे फड़ रेजी अथवा खादी के कपडे़ पर लोक देवता के जीवन को चित्रों के माध्यम से प्रस्तुत करना फड़ चित्रांकन कहलाता है। ओरफड़ चित्रांकन में मुख्य पात्र को लाल रंग में तथा खलनायक को हरे रंग में दर्शाया जाता है। राजस्थान मे फड का वाचन करने वाले भोपा तथा भोपी कहलाते है।
राज्य में निम्न प्रकार की फड प्रचलित है। (Fudd is prevalent in the state follows)
पाबु जी की फड़ का वाचन
देवनारायण जी की फड़ का वाचन
रामदेव जी की फड़ का वाचन
रामदला व कृष्णदला की फड़ का वाचन
भौंसासुर की फड़ का वाचन
अमिताभ की फड़ का वाचन आदि फड़ का वाचन किया जाता है
(2) देवरा (Devra)
In rural areas of Rajasthan Lokdewataon Cbutrenuma space “Deora called”
राजस्थान मे ग्रामीण क्षेत्रों में लोकदेवताओं के चबुतरेनुमा थान को “देवरा” कहा जाता है
(3) पथवारी (Pthwari)
In Rajasthan, the rural dirt road outside the village, the place is worshiped before the pilgrimage. राजस्थान मे ग्रामीण क्षेत्रों में गांव के बाहर रास्ते में मिट्टी से बनाया गया स्थान जिसे तीर्थ यात्रा पर जाने से पूर्व पूजा की जाती है।
(4) सांझी/संझया (Common / Snjya)
राजस्थान मे ग्रामीण क्षेत्रों में कुवांरी कन्याओं द्वारा अच्छे वर की कामना हेतू दीवार पर उकेरे गए रंगीन भित्ति चित्र सांझी कहलाते है।
सांझाी पर्व श्राद्ध पक्ष से दशहरे तक मनाया जाता है।
केले की सांझाी के लिए श्री नाथ मंदिर (नाथ द्वारा) प्रसिद्ध है।
उदयपुर का मछन्द्र नाथ मंदिर सांझी का मंदिर कहलाता है।
(5) पिछवाई (Picwai)
Srinath temple in Nathdwara in Rajasthan is famous for Picwai art राजस्थान मे नाथद्वारा का श्रीनाथ मंदिर पिछवाई कला के लिए प्रसिद्ध है।
(6) पावे (Pave)
In Rajasthan on paper depicting folk god or goddess is called Pave. राजस्थान मे कागज पर लोक देवता अथवा देवी का चित्रण पावे कहलाते है।
(7) भराड़ी (Bradhi)
Naturals Bradhi prevalent folk goddess of marital graffiti. भराड़ी भीलों में प्रचलित वैवाहिक भित्ति चित्रण की लोक देवी है।
(8) हीडू (Heedu)
On the occasion of Diwali in the eastern region of Rajasthan built a clay pot in which the child is living Binole burning, the house is Dhumte. In Rajasthan, it is considered a symbol of prosperity. राजस्थान के पूर्वी क्षेत्र में दीपावली के अवसर पर बच्चे मिट्टी से निर्मित एक पात्र जिसमें बिनोले जलते रहते है, को लेकर घर-घर धुमते है। राजस्थान मे इसे खुशहाली का प्रतीक माना जाता है।
(9) वील (Veal)
In rural areas of Rajasthan for storing small objects made of clay figure palatial called veal. राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्रों में छोटी वस्तुओं को संग्रहित करके रखने के लिए मिट्टी की बनाई गई महलनुमा की आकृति को वील कहा जाता है।
(10) मेहन्दी महावर (Henna rouge)
In Rajasthan on auspicious occasions by women and girls to put henna on the hands and feet of tradition. The henna is considered a symbol of the wedding. The henna Sojtnagr in Rajasthan is famous. In Rajasthan, henna art and old women and girls on the palm instead of engraver punch which makes large-sized Bindian “Panchota” is called.
राजस्थान मे मांगलिक अवसरों पर महिलाओं तथा युवतियों द्वारा हाथों तथा पैरों पर मेहन्दी लगाने की परम्परा है। ओर मेहन्दी को सुहाग का प्रतीक माना जाता है। ओर राजस्थान में सोजतनगर की मेहन्दी प्रसिद्ध है। तथा राजस्थान मे बूढ़ी महिलाऐं तथा बच्चियां कलात्मक मेहन्दी उकेरने की बजाय हथेली पर पंच बडे़ आकार की बिन्दियां बनाती है जिसको “पांचोटा” कहा जाता है।
(11) बटेवडे़ (Btevdeh)
Made from cow dung cakes drought in Rajasthan for safe keeping Btevdeh shape created is called. राजस्थान मे गोबर से निर्मित सुखे उपलों को सुरक्षित रखने के लिए बनाई गई आकृति बटेवडे़ कहलाती है।
(12) चिकोरा/ चिकोटा (Cikora / Cikota)
Characters from the soil in the western regions of Rajasthan Bnaae auspicious occasions in which children collect is used by the oil. राजस्थान के पश्चिमी क्षेत्रों में मिट्टी से बनाऐ गए पात्र जिसमें मांगलिक अवसरों पर बच्चों द्वारा तेल इकठा किया जाता है।
(13) मोण/मुण (Mon / Mun)
Made from clay pots in the western areas of Rajasthan whose mouth small / narrow, access to water is used it is called Mon राजस्थान के पश्चिमी क्षेत्रों में मिट्टी से निर्मित मटके जिनका मुंह छोटा/संकरा होता है, का उपयोग पानी के लिए किया जाता है उसको मोण कहा जाता है।
(14) गोदना (Tattooing)
Gràcia main tribe in Rajasthan is the practice in which needles or acacia thorns Akrittian depicted on the human body is different. The coal powder on the wound or the leaves of Prosopis cineraria is filled with powder. After drying the green shape is emerging.
राजस्थान मे गरासिया जनजाति की मुख्य प्रथा है जिसमें सुई अथवा बबूल के कांटे से मानव शरीर पर विभिन्न आकृत्तियां उकेरी जाती है। ओर इसमें घाव को कोयले के चूर्ण अथवा खेजड़ी की पतियों के पाउडर से भरा जाता है। सुखने के बाद आकृति हरे रंग में उभर जाती है।
(15) घोड़ा बावी (Horse Bawi)
Gracia, especially in the tribal Bhil tribe in Rajasthan and appeasement completed Godeh shape made of clay after worship is offered to Lokdewata. राजस्थान मे आदिवासियों में विशेषकर भीलों तथा गरासिया जनजाति में मनौती पूर्ण होने पर मिट्टी से बनी घोडे़ की आकृति की पूजा करने के बाद लोकदेवता को चढ़ाया जाता है।
(16) ओका-नोका गुणा (Oka-Noka times)
Artwork created from cow dung in rural areas of Rajasthan, which is worshiped smallpox time राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्रों में गोबर से बनाई गई कलाकृति जिसकी चेचक के समय पूजा की जाती है।