History of the Chauhan dynasty sambar सांभर का चौहान वंश का इतिहास

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History of the Chauhan dynasty sambar सांभर का चौहान वंश का इतिहास

The ancient name was Shakbri Spadlksh. Spadlksh means a group of twenty lakh villages. Vasudeva Chauhan Chauhan dynasty, laid the foundation of this country. It Shakbri / Sambar made its capital. Chouhan had also Vasudeva Sambhar lake. Minister Vasudeva had the title of chef.

शाकभरी का प्राचीन नाम सपादलक्ष था। सपादलक्ष का अर्थ सवा लाख गांवों का समूह। यहीं पर वासुदेव चौहान ने चौहान वंश की नीव डाली। इसने शाकभरी /सांभर को अपनी राजधानी बनाया। सांभर झील का निर्माण भी वासुदेव चौहान ने करवाया। वासुदेव चौहान की उपाधि महाराज की थी।

Prithviraj’s first independent ruler of this dynasty was the first king of the title is considered. Prithviraj On the first possession of the Gujarat Bduc ashapurna Devi temple was built. And the Ajai Raj Prithviraj ruler. 1113 AD by Ajay Raj. In the middle of hills Ajmeru (Ajmer) founded the city and made the city his new capital.

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इस वंश का प्रथम स्वतंत्र शासक पृथ्वीराज प्रथम था जिसकी उपाधि महाराजाधिराज की मानी जाती है। ओर पृथ्वीराज प्रथम ने गुजरात के भडौच पर अधिकार कर वहां आशापूर्णा देवी के मंदिर का निर्माण करवाया। तथा पृथ्वीराज के बाद अजयराज शासक बना। अजयराज ने 1113 ई. में पहाडियों के मध्य अजमेरू (अजमेर) नगर की स्थापना की और इस नगर को अपनी नई राजधानी बनाया।

विग्रहराज चतुर्थ (बीसलदेव) (1153-1164 ई.)

Among the most powerful ruler of the Chauhan dynasty, Prithviraj III was Vigrhraj IV. It banished from Punjab defeated Bandan. It was a poet ruler heart. It is also called the Kvibandhav. He himself Hrkeli (drama) composed. The Shiva-Parvathi and Kumar Kartikeya is described. The court poet wrote the book Nrpti Nalh the Bisldev Raso. Somdev Fine Vigrhraj other poet wrote. From 1153 to 1156 built a Sanskrit school in Ajmer Central VigrhrajThe 1200 AD. In the two and half days of Qutb Aibak Tudwakr Jopda erected in its place. Shah called on the Punjab side of the two-day Urs Sufisnt lit up so these two days is called Jopda.

पृथ्वी राज तृतीय के अलावा चौहान वंश का सर्वाधिक शक्तिशाली शासक विग्रहराज चतुर्थ हुआ। इसने पंजाब की भाण्डान को पराजित कर दूर भगा दिया। यह एक कवि हृदय शासक था। ओर इसको कविबांधव भी कहा जाता है। इन्होने  स्वयं ने हरकेलि (नाटक) की रचना की। जिसमें शिव-पार्वती व कुमार कार्तिकेय का वर्णन किया गया है। इसके दरबारी कवि नरपति नाल्ह ने बीसलदेव रासो ग्रन्थ की रचना की। अन्य कवि सोमदेव ने ललित विग्रहराज की रचना की। 1153 से 1156 के मध्य विग्रहराज ने अजमेर में एक संस्कृत विद्यालय का निर्माण करवाया जिसे 1200 ई. में कुतुबुद्दीन ऐबक ने तुडवाकर उसके स्थान पर ढाई दिन का झोपडा बनवाया। ओर यहां पर पंजाब शाह नामक सुफीसंत का ढाई दिन का उर्स भरता था इसी कारण इसे ढाई दिन का झोपडा कहा जाता  है।

Prithviraj’s grandfather founded Anangpal Tomar Delhi. Anangpal was Nisntan. So he gave his State Prithviraj. Prithviraj now shifted his capital to Delhi. Turki Mohammad Gauri ruler Prithviraj and state boundaries began to touch. Terrain, two wars between the two.

पृथ्वीराज के नाना अनंगपाल तोमर ने दिल्ली की स्थापना की । अनंगपाल निसंतान था। अतः उसने अपना राज्य पृथ्वीराज को दे दिया। अब पृथ्वीराज ने दिल्ली को अपनी राजधानी बनाया। पृथ्वीराज व तूर्की शासक मोहम्मद गौरी की राज्य सीमाएं स्पर्श करने लगी। दोनों के मध्य तराइन के दो युद्ध हुए।

तराइन का प्रथम युद्ध (1191)

Terrain in the war Puthviraj Chauhan defeated Mohammad Ghauri.

तराइन के इस  युद्ध में पुथ्वीराज चौहान ने मोहम्मद गौरी को पराजित कर दिया।

तराइन का प्रथम युद्ध (1192)

Terrain in the war Ghauri defeated Prithviraj killed him and his son Govind gave the state Ranthambur तराइन के इस युद्ध में गौरी ने पृथ्वीराज को पराजित कर उसकी हत्या कर दी और उसके पुत्र गोविन्द को राणथम्भौर का राज्य दे दिया।

Note: Prithviraj III and the daughter of the ruler of Kannauj jaichand Ghdwal famous history of the love between Sanyo. And the famous Sufi saint Khwaja Chisti community related Muinuddin Prithviraj Chishti at Ajmer came third. Ajmer dargah of Khwaja Chishti Muinuddin building built by Razia’s father Iltutmish. पृथ्वीराज तृतीय और कन्नौज के शासक जयचन्द गहडवाल की पुत्री संयोगिता के मध्य प्रेम का प्रसिद्ध इतिहास रहा है। ओर प्रसिद्ध सूफी संत और चिश्ती सम्प्रदाय से संबंधित ख्वाजा मुइनूद्दीन चिश्ती पृथ्वीराज तृतीय के समय अजमेर आये थे। अजमेर में ख्वाजा मुइनूद्दीन चिश्ती की दरगाह का निर्माण रजिया के पिता इल्तुतमिश ने करवाया।

Dehliwal – coins which they were middle of Prithviraj Chauhan and Mohammad Ghauri aside his own mark and put the other side of the picture Ladies Lakshmi etc. were built

देहलीवाल – वे सिक्के जो पृथ्वीराज चौहान के मध्य के थे और मोहम्मद गौरी ने उसके एकतरफ अपना निशान लगवाया और दूसरी तरफ लक्ष्मी आदि देवियों के चित्र बनवाये थे।

रणथम्भौर के चौहान (Ranthambore Chauhan)

Founder Govindaraja (1194 AD.), Which is considered the third son of Prithviraj

संस्थापक गोविन्दराज (1194 ई. में) को माना जाता है जो पृथ्वी राज तृतीय के पुत्र थे

हम्मीर देव चौहान (1282-1301)

 

The last ruler of the Chauhan dynasty Hmmir Dev Chauhan fought the war in their lifetime and 17 wins in 18 awake. 1301 AD. Turkey ruler Alauddin Khilji invaded Ranthambore Turki, primarily because of the soldier were in Mohammdshah and Kehbru Hmmir mass shelter. Turki ruler when he sought back then pillory Hmmir Dev refused. The result (1301 AD.) In between, there was war.

चौहान वंश का अंतिम शासक हम्मीर देव चौहान ने अपने जीवनकाल में 18 युद्ध लडे व 17 में विजयी हुऐ। 1301 ई. में तुर्की शासक अलाउद्दीन खिलजी ने रणथम्भौर पर आक्रमण किया इसका मुख्य कारण तूर्की के विद्रोही सैनिक मोहम्मदशाह व केहब्रु हम्मीर मास शरण में थे। तूर्की शासक ने जब उन्हे वापस मांगा तब हडी हम्मीर देव ने इनकार कर दिया। परिणाम स्वरूप (1301 ई.) में दोनों के मध्य युद्ध हुआ।

Wartime commander Ranmal and Rtipal Hmmir Dev Chauhan was betrayed by two. Hmmir Dev and his wife in the war received Veergati Rngdevi water to Johor. Rich at war with Ranthambore Khusru and Alauddin Alauddin Khilji Ulug Khan’s younger brother took part.

युद्ध के समय हम्मीर देव चौहान  के दो सेनापति रणमल व रतिपाल ने विश्वासघात किया। हम्मीर देव युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुआ और उसकी पत्नि रंगदेवी ने जल जोहर किया। रणथम्भौर युद्ध में अलाउद्दीन खिलजी के साथ अमीर खुसरौ व अलाउद्दीन का छोटा भाई उलुग खां ने भाग लिया था।

हम्मीर के नाम पर लिखे गये प्रमुख लेख (Hmmir major articles written in the name of)

Hmmir persistence – Chandrasekhar wrote

Hmmir Rassau – wrote Jodharaj

Hamir Mahakaby Suri wrote -nyncndra

Hmmir Rason – wrote Sshargandhar

हम्मीर हठ – चन्द्रशेखर ने लिखा था

हम्मीर रासौ – जोधराज ने लिखा था

हमीर महाकाब्य -नयनचन्द्र सूरी ने लिखा था

हम्मीर रासों – श्शारगंधर ने लिखा था

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Note:Ajmer fort setting – Ajai Raj was released in 1291 in the 7th century AD. When Jalaluddin Khilji invaded the Ranthambore fort Abegta Hmmir preparedness and nervous at the prospect, saying she returned Ki “I am a Muslim to ten kilos not even a child understands. “

अजमेर दुर्ग की स्थापना 7 वीं शताब्दी में अजयराज नें 1291 ई. में जब जलालुद्दीन खिलजी ने रणथम्भौर पर आक्रमण किया था तो हम्मीर की तैयारियों व दुर्ग की अभेघता से घबराकर वह यह कहकर वापस लौट गया की- ” ऐसे दस किलो को भी मै मुसलमान के एक बाल के बराबर भी नहीं समझता “।

 

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