Samas(Compound)-(समास) Related Important study material In Hindi Grammar

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Samas(Compound)-(समास) Related Important Study Material In Hindi Grammar

We are uploading Samas(Compound)-(समास) Related Important Study Material In Hindi Grammar and When two or more than two words combine together and form a new word is known as Samaas (समास) or Compound. There are two cases in samaas one is  and  Hindi notes for 1st 2nd 3rd Grade Teacher IBPS RRB bank Rajasthan police SI patwari Class 10th NCERT Solution topic wise. How to Learn Hindi Language Grammar online study material for Hindi and Sanskrit

परस्पर आपस मे संबंध रखने वाले दो या दो से अधिक शब्दों के मेल को समास कहा जाता हैं।

जैसे – राजतंत्र,राजपुत्र,जन-गण-मन-अधिनायक।

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नोट: दो या अधिक पदों के मेल को समास नहीं कहा जाता है।

विग्रह

समस्त सामासीक पद को अलग-अलग करके उनके मध्य से लुप्त कारक चिन्ह आदि को प्रकट करके लिखना उसको विग्रह कहा जाता है।

विग्रह के लिए समस्त सामासीक पद के दो प्रकार के भाग किये जाते है।

(1) पुर्वपद(पहला/प्रथम)

(2) उत्तरपद(द्वितिय/दुसरा)

नोट: यदि सामासीक पद दो से अधिक शब्दों के मेल से बना हो तो अन्तिम शब्द उत्तर पद तथा पहले के सभी शब्द पुर्व पद माना जाता है

समास के मुख्यतः छः भेद होते है।

(1) अव्ययी भाव समास(प्रथम पद का अर्थ प्रधान)

(2) तत्पुरूष समास(द्वितिय पद का अर्थ प्रधान)

(3) द्वन्द्व समास(दोनों पदों का अर्थ प्रधान)

(4) बहुब्रीहि समास(अन्य पद का अर्थ प्रधान)

(5) द्विगु समास(प्रथम पद संख्या वाचक विशेषण,दोनों पद समुह बोधक)

(6) कर्मधारय(दोनों पदों में विशेषण विशेष्य या उपमान उपमेय का संबंध,द्वितिय पद का अर्थ प्रधान होने के साथ)

 

(1) अव्ययी भाव समास

तीन प्रकार के पद अव्ययी भाव समास में आते हैं।

(1) उपसर्गो से बने पद(उपसर्ग विशेषण न हो)

मुख्यतः निम्न उपसर्गो से बने पद अव्ययी भाव होते है

आ, निर्, प्रति, निस्, भर, खुश, बे, ला, यथा आदि शब्द

जैसे – आजीवन, आमरण, निर्दोष, निर्जन, प्रतिदिन, प्रत्येक, निस्तेज, निष्पाप, भरपेट, भरसक, खुशकिस्मत,खुशनसीब, खुशमिजाज, बेघर, बेवजह, लावारिस, लाजवाब, यथाशक्ति, यथासंभव आदि

उदाहरण

आजीवन (आ+जीवन) = जीवन पर्यन्त

आमरण (आ+मरण) = मृत्यु पर्यन्त

निर्दोष (निर् + दोष) = दोष रहित

प्रतिदिन (प्रति + दिन) = प्रत्येक दिन

बेघर (बे + घर)= बिना घर के

लावारिस (ला + वारिस) = बिना वारिस के

यथाशक्ति (यथा + शक्ति) = शक्ति के अनुसार

(2)एक शब्द दो बार आये

जैसे – घर-घर, नगर-नगर, शहर-शहर,गांव-गांव, बार-बार।

उदाहरण

घर-घर = घर के बाद घर

शहर-शहर = शहर के बाद शहर

(3) एक जैसे दो शब्दों के मध्य बिना संन्धि नियम के कोई मात्रा या व्यंजन आये तो उसको अव्ययी भाव समास कहा जाता है

जैसे – हाथों हाथ, दिनोंदिन, बार-बार,रातोरात, घड़ी-घड़ी,साफ-साफ,बारम्बार, बागोबाग, ठीकोठीक, भागमभाग, यकायक, एकाएक।

उदाहरण

साफ-साफ = साफ के बाद साफ

बार-बार = बार ही बार में

रातोरात = रात ही रात में

(2) तत्पुरूष समास

जिन शब्द समूहो (सामासिक पदो) मे दूसरा पद प्रधान होता है, उनसे तत्पुरुष समास माना जाता है
तत्पुरुष समास क्जे निम्न सात प्रकार भेद किए जाते है

(1) कर्म(द्वितिय) तत्पुरूष – कारक चिन्ह ‘को’

दिलतोड़ – दिल को तोड़ने वाला

गंगाधर – गंगा को धारण करने वाला

मनोहर – मन को हरने वाला

(2)कर्ण(तृतिय) तत्पुरूष – कारक चिन्ह: ‘से, के द्वारा’

धर्म विमुख = धर्म से विमुख

(3) सम्प्रदान(चतुर्थी) तत्पुरूष – कारक चिन्ह ‘के लिए

पाठशाला- पाठ के लिए शाला
घुड़शाला – घोड़ो के लिए शाला

(4) अपदान(पंचम) तत्पुरूष – कारक चिन्ह ‘से(अलग होने का भाव)’

नेत्रहीन = नेत्रो से जी चुराने वाला

(5) संबंध(षष्टी) तत्पुरूष – कारक चिन्ह ‘का, के, की’

रामचरित = राम का चरित

जगन्नाथ = जगत् का नाथ

(6).अधिकर(सप्तमी) तत्पुरूष – कारक चिन्ह: में पर

जिवदया = जिओ पर दया

जलमग्न – जल में मग्न

 

(3) द्वन्द समास

इसमे दोनों पदों प्रधान होते है तो उसे द्वन्द समास कहा जाता है

इसमे और अथवा या आदि शब्दो को प्रयोग सामान्य पदों के मध्य करते है जैसे – दाल-रोटी: दाल और रोटी

या का प्रयोग प्रकृति से विलोम शब्दों के मध्य मे करते है जैसे – सुरासुर: सुर या असुर(यहां पर भी दो शब्दों को जोड़ा गया है परन्तु संधि नियम से) आदि

जैसे – माता-पिता,गाय-भैस,सीता-राम,एक-दो दाल-रोटी, पच्चीस, द्वैताद्वैत,धर्माधर्म, धर्माधर्म, सुरासुर, शीतोष्ण।

उदाहरण

एक-दो = एक और दो

दाल-रोटी = दाल और रोटी

 

(4) बहुब्रीहि समास

इसमे कोई भी पद प्रधान नही होता तथा विग्रह करने पर दोनों पदों से किसी अन्य वस्तु व्यक्ति या पदार्थ का बोध हो तो बहुब्रीहि समास होगा।

जैसे – दशानन,षड़ानन, पंचानन, चतुरानन, गजरानन, गजानन, चोमासा,अनुचर,मनोज ,चतुरानन, नवरात्र,महावीर,गजानन, वीणापाणि, चक्रपाणि, शूलपाणी, वज्रपाणि, द्विरद, चन्द्रशेखर, चन्द्रशेखर, चन्द्रचूड़, त्रिशुल,चन्द्रमौली।

 

(5) द्विगु समास

इस समास मे पहला पद कोई सख्यावाची शब्द होता है ओर पूरा पद किसी समूह का बोध कराता है विग्रह करने पर अंत मे समाहार या समूह लिख दिया जाता है

जैसे – सप्तर्षि, नवग्रह, नवरत्न, नवरात्र, अष्टधातु, त्रिभुज,त्रिलोकी,सप्ताह, सतसई, शताब्दी, पंचवटी, पंचामृत, पंचपात्र, षड्रस, षड्ऋतु, चैराहा,दुपट्टा।

 

(6) कर्म धारय

इस समास मे प्राय:एक पद विशेषण होता है तथा दूसरा पद पद विशेष्य होता है उपमान ओर उपमेय से युक्त पद भी इस समास मे आता है

जैसे – महापुरूष, नीलकमल, कुपूत, खुशबू,प्रवीर, उत्थान, सुपुत्र, दुस्साहस, मनमन्दिर, विद्याधन, नरसिंह, राजर्षि, मुखारविन्द, पिताम्बर, सिंहपुरूष, खंजननयन, काककृष्ण।

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