History of Rajputs राजपूतो का इतिहास part 1

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History of Rajput

 History of Rajputs राजपूतो का इतिहास part 1

47.After the death of Harsha his entire kingdom was split in small states. Most were caused by the Rajput caste state. 7th-12th century due to which India is known in the history of the Rajput era.

47 ई. में हर्षवर्धन की मृत्यु के बाद  उसका सम्पूर्ण राज्य छोटे- छोटे-राज्यों में विभाजन हो गया था। जिस के कारण अधिकांश राज्य राजपूत जाति के ही थे। जिसके कारण 7 वी से 12 वीं सदी भारतीय इतिहास में राजपूत युग के नाम से जाना जाता है।

 राजपूतो की उत्पत्ति (Origin of the Rajputs)

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भारतीय उत्पत्ति

(a). प्राचीन क्षेत्रियों से (From ancient Kshetriyon)

(1) सी.वी.वैध ,(2)जी.एच. ओझा ,(3)दशरथ शर्मा

(b). अग्निकुण्ड का सिद्वान्त (Principles of Agnikund)

(1.सूर्यमल मिश्रण, 2.चन्द्रबर दाई)

 

(1) चौहान (Chauhan)

चालुक्य (सौलंकी), प्रतिहार ,परमार

(2). विदेश उत्पत्ति (Foreign Origin)

Colonel James Tod, the suspect (Scythian), V. A. Smythe, Kushan doubt Hun Phlv

कर्नल जेम्स टाड, शक (सीथियन) , वी.ए. स्मीथ ,शक कुषाण हूण पहलव

(1) मेवाड़ का गुहिल/सिसोदिया वंश (Guhil of Mewar / Sisodia dynasty)

In the southern region of Rajasthan, Udaipur Mewar was called around the area. Guhil dynasty was established here

राजस्थान के दक्षिणी क्षेत्र में उदयपुर के आस-पास के क्षेत्र को मेवाड़  कहा जाता था। यहीं पर गुहिल वंश की स्थापना हुई है।

गुहिल वंश (Guhil descent)

Colonel James Todd father of the history of Rajasthan in their book “Annals of Atikwitij and Secrets” is written. Pushpavati Shiladity the wife of the king of Gujarat Valabhi Guhadity gave birth to a son named. Guhil Mewar dynasty in the foundations of the Kuh. And other Itihaskaro Harit agriculture in the craft of Mewar and Gwale Black Banquet (Bappa Rawal) Harit Hrirshi blessings of the foundations of this lineage.

राजस्थान के इतिहास के जनक कर्नल टाड ने अपनी पुस्तक ” एनाल्स एण्ड अटीक्वीटीज आफ राज ” में लिखा है। कि गुजरात में वल्लभी का राजा शिलादित्य की पत्नी पुष्पावती ने गुहादित्य नामक पुत्र को जन्म दिया। इसी कुह ने मेवाड़ में गुहिल वंश की नीव रखी। तथा अन्य इतिहासकारो के अनुसार मेवाड़ में हारित कृषि के शिल्प और ग्वाले काला भोज (बप्पा रावल) ने हारित ऋर्षि के आशीर्वाद से इस वंश की नीव रखी थी।

Founder of the Mewar dynasty Guhil -guh (Guhadity)

मेवाड़ में गुहिल वंश का संस्थापक –गुह (गुहादित्य)

The actual founder of the dynasty of Mewar Guhil – 734-753 E Bappa Rawal.

मेवाड़ के गुहिल वंश का वास्तविक संस्थापक – बप्पा रावल 734-753 ई.

(1) बप्पारावल (Bpparavl)

728-753 E of Bpparavl Caryakal.

बप्पारावल का कार्याकाल -728-753 ई.

Bpparavl -Nagda formed on his capital.

बप्पारावल ने अपनी राजधानी –नागदा को बनाई ।

Bpparavl sahastrabaahu in the Nagda (Saas multi-temple) built

बप्पारावल ने नागदा में सहस्रबाहु (सास बहु का मंदिर) बनवाया

He was a worshiper of Shiva gold coin Bpparavl play two temples built in Nagda. (1) Big Temple law and (2) is called Temple of small Mnndir law.

बप्पारावल जो शिव का उपासक था उसने सोने के सिक्के चलाएं नागदा में दो मंदिर बनवाए ।(1) बड़ा मंदिर सास व (2) छोटा मंन्दिर बहू का मंदिर कहलाता है।

Bpparavl the sun on the other side of the golden coin and marking the sign of the trident is made. Thus clear that Bappa Rawal were worshipers of Lord Shiva and considered themselves sooryavanshee.

बप्पारावल ने स्वर्ण सिक्के पर त्रिशूल का चिन्ह  तथा दूसरी तरफ सूर्य का अंकन करवाया है। इस प्रकार स्पष्ट है कि बप्पा रावल भगवान शिव के उपासक थे और स्वयं को सूर्यवंशी मानते थे।

Bappa Rawal Udaipur ekalinga live in a place called Shiva, one of the 18 incarnations Lkulis (Shiva) temple built in Rajasthan, which is a mere Luklis temple. 753 AD. Bappa Rawal expired

बप्पा रावल ने उदयपुर के एकलिंग जी नामक स्थान पर शिव के 18 अवतारों में से एक लकुलिश(शिव) का मंदिर बनवाया जो कि राजस्थान मे एक मात्र लुकलिश मंदिर है। 753 ई. में बप्पा रावल का देहान्त हो गया।

(2) जैत्र सिंह (Jatr Singh)

After the dark history of this dynasty is Muay Bappa Rawal. Because in the 13th century when Sultan Razia’s father Iltutmish (Altmas) Nagd invaded the capital of Mewar had Nagd ruin Jetrasinh that time was ruler of Mewar.

बप्पा रावल के पश्चात् इस वंश का इतिहास अंधकार मय है। क्योकि 13 वीं सदी में जब रजिया सुल्तान के पिता इल्तुतमिश (अल्तमश) ने मेवाड़ की राजधानी नागद पर आक्रमण कर नागद को  तहस नहस कर दिया था तो  उस समय मेवाड़ का शासक जेत्रसिंह था।

Jatr Singh Chittor built his new capital. When the Iltutmish invaded Chittor and defeated Jetrasinh the Iltutmish. In 1260 when the Maharawal Tejasinh “disciples Pratikraman Cuarni formula called” first featured text composed of Mewar

जैत्र सिंह ने चित्तौड़ को अपनी नयी राजधानी बनाया। ओर जब इल्तुतमिश ने चित्तौड़ पर आक्रमण किया तब जेत्रसिंह ने इल्तुतमिश को पराजित कर दिया। ओर 1260 में महारावल तेजसिंह के समय “श्रावक प्रतिक्रमण सूत्र चूर्णी” नामक मेवाड़ के प्रथम चित्रित ग्रन्थ की रचना

(3) रतन सिंह (Ratan Singh 1302 -1303)

Ratan Singh became ruler of Mewar in 1302 occurred in 1302 AD. When the ruler of Delhi in 1303 and the coronation of Ratan Alauddin Khilji Alauddin Khilji invaded primarily due to expansion of the empire was the policy. But in 1540, Malik Mohammed Gyaysi Ratan Singh’s wife, according to the composition of the Padmavat Rani Padmini, who was very beautiful. Alauddin Khilji invaded to get it done Cittud Ratan Singh Mewar ruler and laid down their lives in the war received blond-cloud. Rani Padmini along with 1600 maidens Johar Johar Mewar it is called the first Shaka. Alauddin Khilji invaded Chittor

1302 हुई 1302 मे मेवाड़ का शासक रतन सिंह बना। ओर जब रतनसिंह का राज्यभिषेक हुआ और 1303 में दिल्ली के शासक आलाउद्दीन खिलजी ने आक्रमण किया जिसका प्रमुख कारण आलाउद्दीन खिलजी की साम्राज्य विस्तार नीति था। परन्तु 1540 में मलिक मोहम्म ज्ञायसी ने पद्मावत की रचना के अनुसार रतन सिंह की पत्नि रानी पद्मिनी जो अत्यधिक सुन्दर थी। उसे प्राप्त करने के लिए आलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौड पर आक्रमण किया इस युद्ध में मेवाड़ शासक रतनसिंह व गोरा-बादल वीरगति को प्राप्त हुए। रानी पद्मिनी ने 1600 दासियों के साथ मिलकर जौहर किया यह जौहर मेवाड का प्रथम शाका कहलाया है। अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौड़ पर अधिकार कर लिया

Note: Alauddin Khilji was Kijrabad Chittor name. Amir Khusrau Alauddin was only with the war.

अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौड़ का नाम खिज्राबाद कर दिया। अमीर खुसरो इस युद्ध मे अलाउद्दीन के साथ ही था।

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