BRICS ब्रिक्स शिखर सम्मेलन और ट्रंप की धमकी
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BRICS summit and Trump’s threat | ब्रिक्स शिखर सम्मेलन और ट्रंप की धमकी
टैरिफ को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की धमकियों का करारा जवाब ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला डा सिल्वा ने दिया है. ईरान-इजराइल युद्ध के बाद ट्रंप ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार में अपनी सबसे आक्रामक टैरिफ नीति लागू करनी शुरू कर दी है. इसके तहत अमेरिका ने जापान, दक्षिण कोरिया, मलेशिया और बांग्लादेश सहित 14 देशों पर भारी-भरकम टैरिफ लगाए हैं
ट्रंप ने क्यों दी BRICS को धमकी BRICS (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका)
दरअसल, ब्रिक्स देश एक ऐसी मुद्रा बनाने की योजना बना रहे हैं जो अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता कम कर दे. ट्रंप को यह बात पसंद नहीं आई. उनका मानना है कि ऐसा करना अमेरिका की अर्थव्यवस्था और ताकत को कमजोर करेगा.
ब्राज़ील के रियो डी जनेरियो में 17वां ब्रिक्स शिखर सम्मेलन ख़त्म हो चुका है दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था वाले 10 देशों के इस संगठन के संस्थापक सदस्यों में भारत भी शामिल है.
ब्रिक्स के संस्थापक सदस्य देशों में भारत के साथ-साथ रूस और चीन भी है जो दुनिया की ताक़तवर अर्थव्यवस्थाओं में से एक हैं. रूस और चीन आपस में अपनी करेंसी में व्यापार करते रहे हैं और साल 2022 में रूस ने ब्रिक्स देशों के लिए एक नई अंतरराष्ट्रीय रिज़र्व करेंसी का प्रस्ताव दिया था.
ब्रिक्स ने साल 2015 में न्यू डेवलपमेंट बैंक की स्थापना की थी और हालिया शिखर सम्मेलन में इस बैंक के एक दशक पूरे होने को लेकर समारोह भी आयोजित किया गया था
कॉमन करेंसी के कई नुक़सान भी होते हैं क्योंकि अगर वह आपके पास बहुतायत में हो जाए तो उसका इस्तेमाल सिर्फ़ उन्हीं ख़ास देशों के साथ ही इस्तेमाल कर सकते हैं जिनके साथ आपका व्यापार है
थीम : समावेशी एवं टिकाऊ शासन के लिए वैश्विक दक्षिण सहयोग को सशक्त बनाना
सदस्य देश : ब्रिक्स में अब 11 सदस्य (ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका + मिस्र, इथियोपिया, ईरान, इंडोनेशिया, UAE तथा सऊदी अरब) हैं।
इस सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया।
वर्ष 2024 में छह नए सदस्यों (सऊदी अरब, यूएई, मिस्र, इथियोपिया, इंडोनेशिया और ईरान) के जुड़ने के साथ वैश्विक जी.डी.पी. (पी.पी.पी. में वर्तमान दरों पर) में ब्रिक्स की हिस्सेदारी लगभग 39% हो गई।
NDB के बारे में:
शुरुआत: इसे 2015 में ब्रिक्स देशों द्वारा एक बहुपक्षीय विकास बैंक के रूप में स्थापित किया गया था।
उद्देश्य: उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं और विकासशील देशों (EMDCs) में अवसंरचना एवं सतत विकास परियोजनाओं के लिए वित्त जुटाना।
मुख्यालय: शंघाई (चीन)।